पारद शिवलिंग का अभिषेक - AN OVERVIEW

पारद शिवलिंग का अभिषेक - An Overview

पारद शिवलिंग का अभिषेक - An Overview

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घर में पराद शिवलिंग रखना शुभ होता है। शिवलिंग को घर में रखने से घर में सुख-शांति और नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता है। लेकिन शिवलिंग को घर में रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता हैः

- वरदान के कारण नर्मदा नदी का कण-कण शिव माना जाता है. - नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही स्थापित किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है. - कहा जाता है कि, जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है.

अगर आपके परिवार में किसी सदस्य की तबीयत खराब है और दवाई आदि का भी कोई असर नही हो रहा है, तो आपको पराद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इस शिवलिंग की पूजा करने से सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।

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आध्यात्मिक विकास: स्फटिक शिवलिंग की उपस्थिति से आध्यात्मिक ज्ञान और विकास को बढ़ावा मिलता है।

मन शांत क्यों नहीं होता है?: महिला ने एक संन्यासी से पूछा कि सच्चा सुख कैसे मिल सकता है, संत ने कहा कि मैं कल बताउंगा और अगले दिन संत गंदा कमंडल लेकर आए

पारद शिवलिंगाच्या दर्शनाने मोठी पापे दूर होतात.

ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च। तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।। 

ग्रामीण तंत्र शिव को प्रसन्न करने की तांत्रिक क्रिया : शिव उपासना

अध्यात्माबद्दल जरा जरी आकर्षण असलेल्या व्यक्तीला पारद शिवलिंगाची उपासना केलीच पाहिजे असे माझे मत आहे.

जो भी जातक इस शिवलिंग की पूजा करता है उसके घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। साथ ही उसे मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।

सुख वैभव की प्राप्ति और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए पारद श्री यंत्र को घर में स्थापित करना बेहद शुभ होता है। इस यंत्र की घर में स्थापना करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पारद श्री यंत्र का दैवीय प्रतीक click here लक्ष्मी माता और कुबेर देव को माना गया है। पारिवारिक सुख और आर्थिक मजबूती के लिए लक्ष्मी माता का ये यंत्र स्थापित किया जाता है। इसे सभी यंत्रों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस यंत्र को प्रभावकारी बनाए रखने के लिए प्रतिदिन इसकी पूजा अर्चना के साथ मंत्र उच्चारण करना बेहद आवश्यक है। विशेषरूप से होली, दिवाली, नवरात्री और शिवरात्रि के दौरान सही मंत्रोच्चार कर इस यंत्र को अधिक प्रभावकारी बनाया जाता है। पारद श्री यंत्र सोना, चांदी और तांबे का हो सकता है।



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